अकोशिकीय, परासूक्ष्मदर्शीय, प्रोटीन के आवरण में स्थित नाभिकीय अम्लों की बनी आ ऐसी संरचनाएँ हैं, जो कि केवल जीवित कोशिकाओं के अन्दर ही जनन कर सकती हैं और जीवित ८ कोशिकाओं के बाहर एक रासायनिक अणु के रूप में होती हैं। इनमें रोग उत्पन्न करने की क्षमता भी पायी जाती है। इन्हें केवल इलेक्ट्रॉनिक सूक्ष्मदर्शी के द्वारा ही देखा जा सकता है।
विषाणु (Virus) शब्द ग्रीक शब्द वाइवम (Vivum) से लिया गया है, जिसका शाब्दिक अर्थ तरल विष (Liquid poison) होता है । विषाणु पौधों एवं जन्तुओं में रोग उत्पन्न करते हैं। कॉसियस T (Causius, 1976) ने सर्वप्रथम ट्यूलिप (Tulip) के पौधे में प्रथम विषाणु रोग की खोज की तथा इन्होंने इसे ट्यूलिप ब्रीक (Tulip break) नाम दिया था। स्विक्टेन (Swicten, 1857) ने सर्वप्रथम टोबैको मोजैक रोग की खोज की थी। डिमिट्री इवानोवस्की (Dimitry Iwanowski, 1896) ने सर्वप्रथम T.M.V. को रवे (Crystal) के रूप में प्राप्त किया था। विषाणु प्रायः नाभिकीय अम्ल एवं प्रोटीन के बने होते हैं। पादप विषाणुओं में नाभिकीय अम्ल RNA पाया जाता है जबकि जन्तु विषाणुओं में DNA पाया जाता है।\